
ग्वालियर, मध्यप्रदेश – ग्वालियर जिले के जौरासी गांव में ₹20 करोड़ की लागत से बन रहा “अम्बेडकर धाम” इन दिनों विवादों में है। यह निर्माण लगभग 800 मीटर की दूरी पर स्थित 200 साल पुराने श्री हनुमान मंदिर के बेहद करीब हो रहा है, और स्थानीय सूत्रों के अनुसार, मंदिर की परंपरागत ज़मीन पर यह निर्माण कार्य चल रहा है।
सरकार द्वारा इस परियोजना को संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर को समर्पित बताया जा रहा है, लेकिन डॉ. अम्बेडकर स्वयं हिंदू धर्म, मूर्ति पूजा और देवी-देवताओं के घोर आलोचक थे। उन्होंने सार्वजनिक रूप से हिंदू धर्म को नकारा था और बौद्ध धर्म अपनाने से पहले 22 प्रतिज्ञाएं ली थीं, जिनमें उन्होंने कभी भी हिंदू देवी-देवताओं की पूजा न करने की शपथ ली थी।
मंदिर के अस्तित्व पर खतरा?
श्री हनुमान मंदिर, जौरासी पिछले दो शताब्दियों से आस्था का केंद्र रहा है। अब जब उसके पास ₹20 करोड़ की लागत से ‘अम्बेडकर धाम’ का निर्माण हो रहा है, तो स्थानीय हिंदू समाज में गहरी चिंता और आक्रोश फैल गया है।
“यह केवल ज़मीन का मामला नहीं है, यह हमारी आस्था का अपमान है,” एक स्थानीय श्रद्धालु ने कहा। “सरकार उन पर करोड़ों खर्च कर रही है जो मूर्तिपूजा के विरोधी थे, और मंदिरों को आज भी सरकारी नियंत्रण में रखा गया है।”

सरकारी खर्च पर मूर्तिपूजा विरोधी की मूर्ति?
डॉ. अम्बेडकर ने मूर्ति पूजा को नकारा था, फिर भी आज देशभर में उनकी 10,000 से अधिक मूर्तियाँ और स्मारक बनाए जा रहे हैं। दूसरी ओर, हिंदू मंदिर आज भी सरकार के नियंत्रण में हैं, और कई मंदिर मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
अब सवाल यह उठ रहा है – क्या यह केवल तुष्टिकरण की राजनीति है?
सुरक्षा और बुलडोजर की मौजूदगी
जौरासी में निर्माण स्थल पर भारी पुलिस बल और बुलडोजर की उपस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशासन को स्थानीय विरोध की आशंका है। निर्माण स्थल पर लगे नेताओं के पोस्टर और सरकारी चिन्ह यह संकेत देते हैं कि यह एक राज्य प्रायोजित परियोजना है।
दोहरी नीति पर सवाल
यह घटना राज्य की दोहरी नीतियों को उजागर करती है।जहाँ एक ओर हिंदू मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित स्मारकों को खुला समर्थन और भारी बजट दिया जा रहा है।
“जो व्यक्ति मूर्तिपूजा के विरोध में था, उसी के नाम पर भव्य धाम बनाना न केवल विडंबना है, बल्कि हिंदू आस्था पर चोट है,” मंदिर के एक पुजारी ने कहा।
न्यायिक जांच की मांग
स्थानीय हिंदू संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने न्यायिक जांच की मांग की है और निर्माण कार्य को तुरंत रोकने की अपील की है।
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डॉ. अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाएं
- 1. मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को भगवान नहीं मानता।
- 2. मैं राम और कृष्ण को भगवान नहीं मानता।
- 3. मैं गौरी, गणपति आदि किसी भी हिंदू देवी-देवता को नहीं मानता।
- 4. मैं नहीं मानता कि भगवान ने ब्राह्मणों को शासक और शूद्रों को दास बनाया है।
- 5. मैं यह नहीं मानता कि वर्ण व्यवस्था ईश्वर की देन है।
- 6. मैं यह नहीं मानता कि किसी व्यक्ति का जन्म ऊँच या नीच कुल में होता है।
- 7. मैं यह नहीं मानता कि श्रुति और स्मृति (मनुस्मृति आदि) ईश्वरकृत हैं।
- 8. मैं कभी भी ब्राह्मणों द्वारा निर्धारित किसी भी विधि से कोई भी पूजा नहीं करूंगा।
- 9. मैं न तो राम की पूजा करूंगा और न ही कृष्ण की, जो कि अवतार माने जाते हैं।
- 10. मैं गौरी, गणेश आदि देवताओं की पूजा नहीं करूंगा।
- 11. मैं न तो हिंदू धर्म की परंपराओं का पालन करूंगा और न ही उन पर विश्वास करूंगा।
- 12. मैं अपने बच्चों को हिंदू धर्म नहीं सिखाऊंगा।
- 13. मैं मानता हूँ कि हिंदू धर्म मानव के लिए हानिकारक है।
- 14. मैं मानता हूँ कि हिंदू धर्म अन्याय, भेदभाव और असमानता को जन्म देता है।
- 15. इसलिए, मैं हिंदू धर्म को पूर्ण रूप से त्यागता हूँ।
- 16. मैं यह विश्वास करता हूँ कि बुद्ध का धर्म ही सच्चा धर्म है।
- 17. मैं यह प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं बुद्ध के मार्ग का अनुसरण करूंगा।
- 18. मैं यह प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं धम्म का प्रचार करूंगा।
- 19. मैं यह प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को अपनाकर आचरण करूंगा।
- 20. मैं यह प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं जीवित प्राणी की हत्या नहीं करूंगा।
- 21. मैं यह प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं चोरी नहीं करूंगा।
- 22. मैं यह प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं झूठ नहीं बोलूंगा और शराब व अन्य नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करूंगा।
ये 22 प्रतिज्ञाएं डॉ. अंबेडकर द्वारा हिंदू धर्म के त्याग और बौद्ध धर्म अपनाने के सार्वजनिक ऐलान के रूप में ली गई थीं। ये आज भी दलित बौद्ध आंदोलन का आधार हैं।
इसकी बात करते हुए लोग सरकार से सवाल कर रहे हैं कि एक हिन्दू भगवान के विरोधी और उन्हें न मानने वाले की क्यों मूर्ति और धाम बनाए जा रहे हैं।